जमशेदपुर : पहली बार शहर पहुंचे द्वारका शारदापीठ के जगदगुरु शंकराचार्य स्वामी सदानंद सरस्वती ने कहा है कि सरना धर्म कोड की मांग राजनीति से प्रेरित है. जुगसलाई के डिकोस्टा रोड स्थित शिवा रेजिडेंसी में मीडिया से बातचीत में उन्होंने कहा कि आदिवासी और वनवासी मूल भारतवासी हैं और हिंदू ही है.
उन्होंने यहां आने से पहले पश्चिमी सिंहभूम समेत कई इलाकों में आदिवासियों से भी मुलाकात की. वे जहां भी गए वहां आदिवासियों द्वारा मंदिर बनाए गए थे जहां वे लोग पूजा करते है. उन्होंने उनसे भी पूजा कराई. उन्होंने कहा कि गाय में जिसकी भक्ति है, ओमकार जिसका मूल मंत्र है, पुनर्जन्म में जो विश्वास रखता है और मां पिता की पूजा करता है वहीं हिंदू है.
हिंदुओं के धर्म परिवर्तन से जुड़े एक सवाल के जवाब में शंकराचार्य ने कहा कि धर्म परिवर्तन हमारी कमजोरी और ऐसा करनेवालों (परिवर्तन कराने वालों ) का अज्ञान है. उन्होंने कहा कि धर्म परिवर्तन कराने वाले अज्ञानी है और हमारी कमजोरी है. जो शासन में है और जो धनी लोग है वे गरीबों के बीच जाकर काम नही करते है.
उन्होंने कहा कि जो एनजीओ आदिवासी क्षेत्रों में काम करते है, उनके लिए विदेशों से जो सहायता आ रही है उसमें इनकम टैक्स और जीएसटी की छूट दी जा रही है. इसपर सरकार को ध्यान देना चाहिए कि यह राशि सेवा के लिए आ रही है या धर्म परिवर्तन के लिए आ रही है. शास्त्रों के अनुसार धर्म परिवर्तन नहीं किया जा सकता.