जमशेदपुर / रांची; झारखंड सरकार द्वारा लाई गई नई नियोजन नीति के विरोध में 72 घंटे का संपूर्ण झारखंड वन शुरू हो चुका है. शनिवार और रविवार को इस बंद का आह्वान किया गया है.
शनिवार दोपहर तक बंद का मिलाजुला असर देखा गया. ग्रामीण इलाकों में बंद जोरदार है जबकि शहरी इलाकों में इसका कोई खास असर नहीं दिख रहा है.
राष्ट्रीय राजमार्गों पर बंद समर्थकों का प्रयास रंग लाता दिख रहा. वाहनों का आवागमन बहुत कम नजर आ रहा है. सड़कों पर बंद समर्थक उतरे हुए हैं. हालांकि सुरक्षा के भी कड़े इंतजाम किए गए हैं.
सरायकेला- खरसावां जिला से होकर गुजरने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग 32 और 33 को जाम कर दिया. वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में जगह- जगह बंद समर्थक आक्रोश प्रकट करते नजर आए.
बंद समर्थक जगह- जगह टायर जलाकर और सड़कों पर आवागमन बाधित कर सरकार विरोधी नारेबाजी करते देखे गए. प्रशासनिक मुस्तैदी के बीच कहीं- कहीं बंद समर्थकों एवं पुलिसकर्मियों के बीच तीखी नोकझोंक भी देखने को मिली. वहीं लंबी दूरी की बसें सुबह के वक्त नहीं खुलीं.
गौरतलब है कि झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार द्वारा फरवरी 2020 में लाई गई नियोजन नीति को संविधान विरुद्ध बताकर हाईकोर्ट ने रद्द कर दिया था.इसमें तृतीय एवं चतुर्थवर्गीय नौकरियों में झारखंड से ही 10वीं-12वीं पास करने की अनिवार्यता को संविधान में समानता के अधिकार का खुला उल्लंघन बताते हुए हाईकोर्ट ने रद्द कर दिया था.
बाद में हेमंत सरकार नई नियोजन नीति लाई जिसमें झारखंड से ही 10वीं-12वीं पास करने की अनिवार्यता खत्म कर दी गई. सरकारी नौकरियों में 60 फीसदी सीटें स्थानीय जबकि 40 फीसदी सीटें ओपन टू ऑल रखी गई. स्थानीय भाषा की सूची में हिंदी को शामिल किया गया। साथ ही स्थानीय भाषा, संस्कृति और परिवेश की जानकारी होने की अनिवार्यता भी खत्म कर दी गई.