जमशेदपुर : विलुप्त श्रेणी की आदिम जनजाति से संबंध रखने वाला टुना सबर शनिवार को नई जिंदगी के साथ परसुडीह खासमहाल स्थित सदर अस्पताल से अपने गांव लौटा. सिविल सर्जन ने विशेष व्यवस्था करा उसे गांव पहुंचाया.
गंभीर चर्म रोग से पीड़ित टुना सबर को कुछ सप्ताह पहले लगभग मरणासन्न स्थिति में सदर अस्पताल में भर्ती कराया गया था. घाटशिला अनुमंडल के डुमरिया प्रखंड के दंपाबेड़ा के रहने वाले टुना सबर के बारे में जब जिले की उपायुक्त विजया जाधव को जानकारी मिली थी तो वह खुद सदर अस्पताल गई थी और टुना सबर को देखने के बाद सिविल सर्जन डॉक्टर जुझार माझी को इसके इलाज में किसी तरह की कोताही नहीं करने का निर्देश दिया था.
सदर अस्पताल के डॉक्टरों व अन्य कर्मियों ने उसका सफलतापूर्वक इलाज किया और शनिवार को उसके स्वास्थ्य के परीक्षण के बाद पाया गया कि वह अस्पताल से छुट्टी पाने लायक हो गया है. इसके बाद उसे अस्पताल से छुट्टी दे दी गई और वह घाटशिला अनुमंडल के अपने गांव को चला गया. इस मौके पर उसे सदर अस्पताल में समारोह पूर्वक विदाई दी गई जहां उसके परिजन भी उपस्थित थे. सभी के चेहरों पर खुशी साफ झलक रही थी. सदर अस्पताल में करीब 1 महीने तक उसका इलाज चला.इधर सिविल सर्जन के नेतृत्व में टुना का इलाज कर रहे चिकित्सकों एवं स्वास्थ्य कर्मियों की पूरी टीम को उपायुक्त ने बधाई दी है.
टुना को शनिवार को जब अस्पताल से घर भेजा गया तो उसके चेहरे की चमक नया जीवन मिलने की खुशियां बयां कर रही थी .
झाबुआ सदर अस्पताल में भर्ती कराया गया था तब उसके शरीर में हीमोग्लोबिन निम्नतम स्तर पर था. वह किसी तरह से सिर्फ सांस ले पा रहा था. चलने-फिरने में पूरी तरह असमर्थ था.
उस समय टुना सबर को देखने के बाद हर कोई यही प्रार्थना कर रहा था कि किसी तरह से उसकी जान बच जाए. हर किसी की संवेदना उसके साथ थी.
एक बात अवश्य थी कि उसके मन में जिंदा रहने की इच्छाशक्ति मजबूत थी और वह बीमारी से लड़ने के लिए तैयार था शायद यही कारण रहा कि 1 महीने के भीतर ही उसने जिंदगी की जंग जीत ली.
सिविल सर्जन डॉ. जुझार माझी कहते हैं कि टुना की हालत ऐसी थी कि इतनी जल्दी ठीक होने का भरोसा भी किसी को नहीं था, हालांकि इलाज कर रहे चिकित्सकों की टीम ने पहले दिन से ही आश्वस्त किया था कि देर भले हो सकती है लेकिन टुना को बिल्कुल स्वस्थ हालत में घर भेजेंगे.
चिकित्सकों के विश्वास एवं जिलेवासियों की दुआ से टुना सबर अब पूरी तरह स्वस्थ है.
बताते चलें कि मुख्यधारा से दूर रहने वाली सबर जनजाति के उत्थान के प्रति जिले की उपायुक्त शुरू से संवेदनशील रहीं हैं. टुना को सदर अस्पताल में भर्ती कराने के बाद रात हो या दिन उन्होने खुद उसके स्वास्थ्य की मॉनिटरिंग की. सदर अस्पताल जाकर टुना के स्वास्थ्य में प्रगति की जानकारी लेनी हो या चिकित्सकों से संपर्क में रहकर दिशा-निर्देश देना, उन्होने टुना की हालात सामान्य होने तक 24×7 निगरानी की.
शनिवार को अब जब टुना सबर को अस्पताल से छुट्टी मिली है तो उन्होने प्रसन्नता जाहिर करते हुए टुना के स्वस्थ व खुशहाल जीवन की शुभकामनायें दी.साथ ही उन्होने सिविल सर्जन डॉ. जुझार माझी के नेतृत्व में टुना का इलाज कर रहे चिकित्सकों एवं स्वास्थ्यकर्मियों की पूरी टीम को बधाई दी.