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जमशेदपुर: बिष्टुपुर स्थित गोपाल मैदान में 12 से शुरू हुई श्रीराम कथा के अंतिम दिन शनिवार 18 मार्च को सूरत (गुजरात) से आए प्रख्यात कथावाचक सतश्री ने श्रीराम के राज्याभिषेक का प्रसंग जीवंत कर दिया। इसके साथ ही कथा की पूर्णाहुति हो गई। कथा की शुरुआत लंका विजय से करते हुए सतश्री ने कहा कि हनुमानजी अपनी पूंछ में लगी आग से लंका जला रहे थे, जिसमें सब कुछ जल रहा था, लेकिन हनुमानजी को आग ही दाह (गर्मी) महसूस नहीं हो रही थी। वाल्मिकी जी कहते हैं कि उन पर सीताजी का आशीर्वाद था, जिससे हनुमानजी को कष्ट नहीं पहुंचा।उन्होंने कहा कि हर व्यक्ति की सफलता में किसी न किसी का हाथ होता है, लेकिन बहुत कम लोग इसका श्रेय दूसरों को देते हैं।
इसी क्रम में सतश्री ने कहा कि बहुत से लोग हमेशा चिंतित रहते हैं, यह ठीक नहीं है। संतोष का भाव रखो, कभी दुख नहीं होगा। उन्होंने कहा कि जिसके पास कुछ नहीं है या कोई कमी है, उसका चिंतित रहना स्वाभाविक कहा जा सकता है, लेकिन कई ऐसे लोग भी चिंतित रहते हैं, जिनके पास सब कुछ होता है। दुखी रहकर आप कभी आगे नहीं बढ़ सकते हैं। वर्तमान में जीना सीखो। ईश्वर की बनाई दुनिया में सिर्फ मनुष्य ही है, जो भविष्य के लिए संग्रह करता है और चिंतित रहता है। आपने कभी किसी पशु को कल की चिंता करते हुए नहीं देखा होगा, इसीलिए वह खुश रहता है। जिस दिन मनुष्य कल की चिंता करना छोड़ देगा, वह भी खुश रहने लगेगा। वास्तव में कई लोग दूसरों की उन्नति से चिंतित रहते हैं।सब कुछ होते हुए भी उनके अंदर और पाने की चाह खत्म नहीं होती है, यही दुख का बड़ा कारण है। जो मिला है, उसे ईश्वर की कृपा मान कर खुश रहना चाहिए।
कथा श्रवण करने वालों में सुधीर सिंह, मनोज अग्रवाल, हरिशंकर सोंथालिया, सुरेश सोंथालिया, राजेश चावडा, दिनेश सोंथालिया, किशन सोंथालिया, महेश सोंथालिया, विपिन भाई आडेसरा, सत्यनारायण अग्रवाल, दिलीप गोयल, बीएन शर्मा, जयेश अमीन, भरत वसानी, पवन शर्मा, अनिल चौधरी, संजय शर्मा राहुल चौधरी आदि उपस्थित थे।
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