सोनी टीवी ने क्राइम पेट्रोल के उस एपिसोड को हटा लिया है, जो श्रद्धा वॉकर और आफताब पर बनाया गया था। उसमें उन्होंने श्रद्धा को एना डिसूजा कर दिया था तो आफताब को मिहिर। मिहिर की माँ को धार्मिक, मंदिर जाने वाली महिला दिखाया था। इस एपिसोड में पूरी तरह से हिन्दुओं को ही राक्षस प्रकार का बताने का कुप्रयास किया गया था।
जब इसका विरोध हुआ और सोनी टीवी को बॉयकाट करने की बात होने लगी तो सोनी टीवी ने उस एपिसोड को वापस ले लिया और यह कहते हुए वक्तव्य जारी किया कि दर्शकों ने इस घटना को श्रद्धा और आफताब की घटना से जोड़ लिया है, परन्तु यह सत्य नहीं है और हालांकि यह काल्पनिक कार्य है, परन्तु यह वर्ष 2011 की घटना पर आधारित है।
क्या थी वर्ष 2011 में घटित घटना
यदि सोनी टीवी की बात पर विश्वास किया जाए तो यह एपिसोड उस घटना पर आधारित था जो वर्ष 2011 में घटित हुई थी और उसमें मारने वाला व्यक्ति था सुमित हांडा, जिसने अपनी पत्नी निरंजनी पिल्लई की हत्या कर दी थी। इसमें हत्या इस पर की थी क्योंकि उसे अपनी पत्नी पर संदेह था। हांडा ने अपनी पत्नी को शायद किसी मित्र से वीडियो कॉल करते हुए देखा, और शायद उस पर शारीरिक कमजोरी का आरोप लगाया गया तो उसने अपनी पत्नी की पेट में चाकू घोंप कर हत्या कर दी थी।
उसके बाद उसने इन्टरनेट खोजा था और फिर अपनी पत्नी की लाश के टुकड़े करके उन्हें ट्राली बैग में भरा और फिर उसने एक गैस स्टेशन से पेट्रोल खरीदा और उन टुकड़ों को जंगल में ले जाकर जला दिया। वह जब घर आया तो उसके पास अपनी पत्नी की राख थी।
वर्ष 2011 में यही घटना घटित हुई थी और संभवतया सोनी का संकेत भी इसी घटना की ओर है। परन्तु सोनी टीवी ने यह नहीं दिखाया कि सुमित हांडा ने निरंजनी पिल्लई के शव के टुकड़े करके एक ही बार में फेंक दिए थे। जो भी घटनाक्रम दिखाया गया है, वह पूरी तरह से श्रद्धा और आफताब की घटना से मिलता है।
जैसे उसमें दिखाया है कि मिहिर ने अपनी बीवी के टुकड़े किए और फ्रिज में छिपाकर रखे, तो इससे कहीं से भी सुमित हांडा का मामला ध्यान में नहीं आएगा। फ्रिज का प्रसंग केवल और केवल इसी घटना से जुड़ा है, जैसे तंदूर काण्ड का ध्यान आते ही सुशील शर्मा और नैना साहनी का ही नाम स्मरण आता है। वैसे ही बीवी को काटकर फ्रिज में रखने को लेकर केवल और केवल आफताब का ही नाम आएगा किसी सुमित का नहीं। हाँ, यदि यह कहा जाएगा कि बीवी के शव को काटकर जंगल में जला दिया गया तो सुमित हांडा का नाम ही आएगा।
हर अपराध की अपनी एक पहचान होती है और हर अपराध की एक मानसिकता होती है। आफताब को मिहिर का नाम देकर और यह कहकर कि यह एपिसोड पुरानी घटना पर आधारित है, पूरी तरह से झूठ है और झूठ के अतिरिक्त यह आफताब की जिहादी और जन्नत वाली मानसिकता को व्हाईट वाश करने का तर्क है।
जैसे कवियत्री की हत्या सुनते ही मधुमिता शुक्ला का नाम अपने आप सामने आ जाता है, जैसे रेस्टोरेंट में मॉडल को गोली मारने की घटना आते ही जेसिका लाल का नाम आ जाता है और बाहुबली की बेटी से प्यार करने पर हत्या का उल्लेख आते ही नितीश कटारा का चेहरा सामने आ जाता है, वैसे ही जब जब लिव-इन पार्टनर को मारकर फ्रिज में रखने का उल्लेख होगा तब-तब श्रद्धा और आफताब का मामला सामने आएगा।
और जब आफताब का चेहरा सामने आएगा, तब यह भी सामने आएगा कि कैसे वह उसकी लाश के टुकड़े फ्रिज में रखते हुए भी दूसरी लड़कियों के साथ सम्बन्ध बनाता रहा और श्रद्धा जब जिंदा थी तब उसे पीटता भी रहा। उसके चेहरे पर चोटों के निशान थे।
मिहिर नाम रखकर एवं यह कहकर कि यह वर्ष 2011 की घटना से प्रेरित है, सोनी टीवी ने यह बताने का प्रयास किया है कि यह सामान्य क़त्ल की घटना है, जबकि यह कत्ल से भी अधिक जन्नत में हूरें मिलने वाली सोच से प्रभावित थी, जिसमें सुमित हांडा नहीं बल्कि आफताब दूसरी लड़कियों के साथ सम्बन्ध बनाए हुए था। सुमित हांडा के किसी और महिला के साथ सम्बन्ध नहीं थे, बल्कि सुमित हांडा के अनुसार उसकी पत्नी के दूसरे युवक के साथ सम्बन्ध थे और इसी कारण उन दोनों में झगड़ा होता था।
जबकि आफताब और श्रद्धा वाले मामले में आफताब की श्रद्धा से पहले भी गर्लफ्रेंड रही थीं और उसकी हत्या के बाद भी। इसलिए जो मिहिर का चरित्र सोनी टीवी में दिखाया था, कि वह चरित्रहीन है, क्या वह सुमित हांडा से मिलता है? जनता की स्मृति इतनी भी दुर्बल नहीं होती है, उसके दिमाग में बड़े बड़े मामलों के प्रतीक जीवित रहते हैं। तो फिर जानबूझकर फ्रिज के अपराधी प्रतीक को आफताब से मिहिर पर शिफ्ट करना न ही मानवीय चूक है और न ही लापरवाही!
यह एक कथित सेक्युलर छल ही कहा जा सकता है, क्योंकि “फ्रिज” में अपनी पत्नी के टुकड़े सुमित हांडा ने नहीं बल्कि आफताब ने रखे थे और वह कोई साधारण झगड़ा नहीं था क्योंकि आफताब ने स्वयं ही यह माना था कि उसे अफ़सोस नहीं है!
सुमित हांडा जिसके साथ उसके अनुसार उसकी पत्नी ने धोखा दिया था, उसे इस कहानी में ऐसा व्यक्ति दिखा दिया जो चरित्रहीन है!
इसे ही तथ्यों का विकृतीकरण कहते हैं, जब उसे जानबूझकर ऐसे समुदाय को निशाना बनाने के लिए किया जाता है, जो स्वभाव से ही सहिष्णु है और उस समुदाय का तुष्टिकरण किया जाता है जिससे छोटी छोटी बातों पर भी विरोध का खतरा होता है!
(यह स्टोरी हिंदू पोस्ट की है और यहाँ साभार पुनर्प्रकाशित की जा रही है.)
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