बिहार से एक और लव जिहाद का मामला सामने आया है। इसबार भी एक कोचिंग संचालक का नाम सामने आया है।
पिछले ही दिनों एक कोचिंग संचालक का नाम सामने आया था, जब बेगुसराय की एक बच्ची को उसके ट्यूशन टीचर मोहम्मद आमिर ने उसका अपहरण कर लिया था। उसने उस बच्ची का ब्रेनवाश इस सीमा तक कर दिया था और मात्र चौदह वर्ष की उम्र में वह आमिर के साथ चली गयी थी।
बच्ची दस दिनों के बाद तमिलनाडु से मिल गयी थी।
#Update: The minor hindu girl has been recovered today by Bihar Police from Tamilnadu.
She was kidnapped by her tuition teacher Mohammad Aamir with the intention of marriage !!
+ pic.twitter.com/OlZRAGZOuV— Ashwini Shrivastava (@AshwiniSahaya) December 1, 2022
इस बच्ची की माँ को यह चिंता थी कि कहीं उनकी बेटी का हाल भी श्रद्धा वॉकर जैसा न हो! यह डर हर किसी माँ का होगा, जिसकी बेटी इस प्रकार से अपहृत की जा चुकी है।
अब फिर से उसी बिहार से एक अन्य कोचिंग संचालक द्वारा लव जिहाद का मामला सामने आया है। बिहार के सीवान जिले के निराला नगर में रहने वाली एक हिन्दू युवती के साथ एक मुस्लिम आदमी ने अपनी मजहबी पहचान छिपाकर शादी की।
In yet another case of grooming jihad aka love jihad, a Muslim man concealed his religious identity and fraudulently married a Hindu girl in Nirala Nagar locality of Siwan district, Bihar.
The accused had a coaching centre where he taught English.
— HinduPost (@hindupost) December 15, 2022
आरोपी का एक कोचिंग सेंटर है, जहाँ पर वह अंग्रेजी पढाता है।
लड़की एक समय में उसी सेंटर में पढ़ती थी और बाद में उसका कोर्स समाप्त होने के बाद आरोपी ने उसे उसी सेंटर में नौकरी दे दी थी।
उसने कहा कि अभियुक्त ने अपना नाम समीर खन्ना के रूप बताया और वह कलावा (हिंदुओं द्वारा कलाई पर पहना जाने वाला धागा) सहित हिंदू प्रतीकों को धारण करता था। बाद में उसने 17 मार्च, 2017 को अदालत में उससे शादी कर ली। हालांकि, शादी होने के बाद ही आरोपी की असली धार्मिक पहचान सामने आई।
सीवान एसपी शैलेश कुमार सिन्हा ने मामले का संज्ञान लेते हुए मामले की जांच के आदेश दिए हैं।
यह घटना इसलिए भी चौंकाती है कि एक सेंटर चल रहा है और लोगों को यह पता ही नहीं था कि आखिर उसकी असली पहचान क्या है? लोग बिना किसी पूछताछ के अपनी बेटियों को पढने के लिए भेज देते हैं? वह अपनी बेटियों को ऐसे लोगों के हवाले कर देते हैं, जिनकी अपनी पहचान ही स्पष्ट नहीं है।
यदि यह बात सच है तो प्रश्न तो उठता ही है कि आखिर आसपास के जो लोग थे, उन्होंने यह पता क्यों नहीं लगाया कि इस केंद्र में कौन संचालक है? क्या बच्चों को ट्यूशन भेजते समय कुछ भी नहीं देखा जाता है। कोई छानबीन नहीं, कोई तहकीकात नहीं, बस बच्चों को भेज दिया?
यदि नाम बदलकर कोई व्यक्ति किसी प्रकार की व्यावसायिक गतिविधि कर रहा है, तो वह मात्र बच्चों के लिए ही नहीं बल्कि पूरे समाज के लिए जोखिम हो सकता है। परन्तु तमाम घटनाओं के बावजूद भी न ही अभिभावक और न ही समाज इस बात पर ठोस कदम उठाते हैं कि कम से कम सही से पहचान तो की जाए!
प्रेम विवाह से पूर्व लड़कियां क्यों जांचती नहीं हैं?
यह बात भी अनदेखी की जा सकती है कि कोचिंग सेंटर कौन चला रहा है, परन्तु जब लड़की घर से भागकर प्रेम विवाह करती है, या घर वालों की मर्जी से भी प्रेम विवाह करती है तो जिससे वह विवाह करने जा रही होती है, उसके विषय में कोई भी पूछताछ नहीं करती है? जब घरवाले लड़की का विवाह निर्धारित करते हैं, तब वह न जाने कितनी पूछताछ करते हैं।
किस परिवार का है, पिता कौन हैं, चाचा कौन हैं? आदि आदि! कितना कमाता है, उनकी बेटी को खुश भी रख पाएगा, यह सब विचार करते हैं। परन्तु विवाह विरोधी हिन्दी साहित्य, विवाह विरोधी फिल्मों को देखकर हिन्दू विवाह के प्रति बहुत ही सुनियोजित तरीके से हिन्दू विवाह के प्रति घृणा उत्पन्न की जाती है। विवाह को शोषक बताया जाता है और पति एवं पिता को सबसे बड़ा उत्पीड़क! जैसे यह कविता
“तुम मुझसे वादे करना
जैसे करते हैं घोषणा-पत्रों में
तमाम राजनीतिक दल।
और शादी के लिए बैठेगी सभा
अध्यक्ष कराएगा वोटिंग
बहुमत से फ़ैसले का इंतज़ार
और अंततः अल्पमत में
मर जाएगा हमारा प्यार।“
चूंकि थोपा हुआ फेमिनिज्म विवाह को एक प्रकार की वैध वैश्यावृत्ति बताता है। कई ऐसी किताबें फेमिनिज्म पर आई हैं जो लड़कियों की आधुनिक पढ़ाई इसलिए जरूरी मानती हैं जिससे वह आम और कानूनी वैश्यावृत्ति से बच सकें। जो वहां की जूठन अंग्रेजी में पढ़ाई जाती है, वह हमारे यहाँ इतनी समा गयी है कि लड़कियों का बिना किसी पूछताछ के बाहर जाना भी अजीब नहीं लगता!
सावधानी का यह पहला कदम होता है कि बच्चों को यह बताया जाए कि किससे बात करनी है, और किससे नहीं! कौन व्यक्ति संदिग्ध हो सकता है? क्या किसी व्यक्ति का कोई आपराधिक इतिहास तो नहीं है?
यह सब बातें इसलिए दिमाग में नहीं आती हैं क्योंकि प्यार की आजादी जैसी बातों ने इस सीमा तक विमर्श को विकृत कर दिया है कि लड़कियों को केवल प्यार और देह की आजादी ही दिखती है और घर के संरक्षक पुरुष शत्रु!
परन्तु जब ऐसी घटनाएं होती हैं, तो फिर प्रश्न उठता है कि आखिर बिना दायित्व बोध के देह और प्यार की आजादी क्या दे रही है?
और कुकुरमुत्तों की तरह उगे हुए कोचिंग सेंटर्स की जाँच क्यों नहीं होती?
(यह स्टोरी हिंदू पोस्ट की है और यहाँ साभार पुनर्प्रकाशित की जा रही है.)