मंगलुरु से सैंट जोसेफ इंजीनियरिंग कॉलेज का एक वीडियो सामने आया जिसमें बुर्का पहने हुए कुछ युवक डांस कर रहे थे।
जैसे ही यह वीडियो सामने आया, वैसे ही टूलकिट गैंग सक्रिय हो गया और यह कहने लगा कि हिन्दू बुर्के का मजाक उड़ा रहे हैं और अचानक से ही मुस्लिम खतरे में आ गया। और लोगों ने कहना आरम्भ कर दिया कि हिन्दू छात्र मुस्लिमों का मजाक उड़ा रहे हैं
इस वीडियो के आने के बाद लोगों का कथित गुस्सा जाग गया और वह कहने लगे कि कैसे उनके साथ अत्याचार हो रहा है। यह कहा जाने लगा कि इसके माध्यम से मुस्लिमों का मजाक उड़ाया जा रहा है। इस डांस को इस्लामोफोबिया भी बताया गया।
और यह कहा गया कि हिन्दू छात्र कैसे बुर्का पहनने वाले समुदाय को पीड़ित कर रहे हैं। अंशुल सक्सेना ने ऐसे ट्वीट्स को एकत्र किया हैं जिनमें यह झूठ लिखा गया था।
Video of students dancing wearing burqa at St Joseph’s Engineering College in Mangalore went viral.It was claimed that students who mocked burqa were Hindus & that’s Islamophobia.
Now, it is revealed that students who were dancing & mocking burqa are from Muslim community. pic.twitter.com/gL4Sz19uAm
— Anshul Saxena (@AskAnshul) December 9, 2022
यह बात सत्य थी कि मंगलुरु में छत्रों ने बुर्के में डांस किया था और अजीब डांस था और यह भी सत्य था कि इस आयोजन में डांस की अनुमति नहीं थी।
मगर डांस तो हुआ था, तो किसने किया होगा? मगर जांच की भी प्रतीक्षा करनी चाहिए थी। क्या बिना जाँच के कुछ भी कहा जाएगा? क्या बिना जांच के ही हिन्दू युवकों के लिए निशाना साधा जाएगा और उन्हें दोषी ठहराया जाएगा? यह बात एक बार फिर से उभरी। क्योंकि हाल ही में पीलीभीत से जिस एक 9 या दस वर्षीय बच्ची अनम की ह्त्या की बात थी, जिसमें अप्रत्यक्ष रूप से हिन्दुओं को ही कहीं न कहीं दोषी ठहराए जाने की जा रही थी।
मगर जैसे ही उस घटना में भी दोषी परिवार वाले निकले वैसे ही मुस्लिम समुदाय को भड़काने वाले लोग गायब हो गए तो वैसे ही इस घटना में हुआ।
माहौल तो पूरा बनाया गया। वैश्विक आधार पर मंच सझ गया था। विमर्श का द्वार भी खुल चुका था, मगर जैसे ही यह पता चला कि सभी चारों लड़के मुस्लिम ही हां कॉलेज की तरफ से जांच कराई गयी और उसमे पाया गया कि यह डांस दरअसल मुस्लिम समुदाय के ही छात्रों द्वारा किया गया था। कॉलेज की ओर से यह भी कहा गया कि यह स्वीकृत कार्यक्रम का हिस्सा नहीं था।
सभी छात्रों को निलंबित कर दिया गया है एवं जांच जारी है
The video clip being circulated in social media has captured a part of the dance by students of the muslim community itself who barged on stage during the informal part of students association inaugural.
(1/2)— St Joseph Engineering College, Mangaluru (@SJEC_Mangaluru) December 8, 2022
यह कितना हैरान करने वाला तथ्य है कि जैसे ही कोई ऐसी घटना होती है जिसमें मुस्लिमों के साथ कुछ भी गलत हुआ दिखता है, वैसे ही बिना जाँच के आरोप टूलकिट गैंग के द्वारा लगाए जाने लगते हैं। ऐसा लगता है जैसे हिन्दू समुदाय के प्रति विष इनके भीतर कूट कूट कर भरा हुआ है।
यदि कोई घटना होती है तो क्या जाँच नहीं करनी चाहिए या फिर बिना जांच की प्रतीक्षा के एकदम निर्णय दे देना चाहिए, क्या इसलिए कि भारत में धार्मिक स्वतंत्रता के नाम पर यह झूठ बोला जा सके कि भारत में मुस्लिमों के साथ भेदभव होता है।
चूंकि मुस्लिम पीड़ित होने का विमर्श एक प्रकार की अजीब मानसिकता से जुड़ा हुआ है कि यदि मुस्लिम के विरुद्ध कुछ हुआ है, तो उसमें कहीं न कहीं केवल और केवल हिन्दू धर्म ही दोषी है, हिन्दू धर्म की खलनायक है, ऐसी भूमिका और विमर्श बना दिया जाता है। असली दोषी खोजने के स्थान पर यह प्रयास किया जाता है कि कैसे केवल हिन्दुओं को दोषी ठहरा दिया जाए।
प्रयास कभी न्याय पाने का नहीं किया जाता है, प्रयास कभी यह किया ही नहीं जाता कि यह पता लगाया जाए कि अंतत: इस घटना के पीछे कौन है? आखिर उस लॉबी को न्याय से अधिक हिन्दुओं को बदनाम करने की शीघ्रता क्यों होती है? क्यों उनकी सीमा हिन्दू द्वेष पर जाकर समाप्त हो जाती है? क्यों उनके परिदृश्य में यह नहीं है कि उन लोगों को दंड मिले जो साम्प्रदायिक सौहार्द बिगाड़ रहे हैं?
क्या इस लॉबी के लिए न्याय से अधिक महत्वपूर्ण यह है कि हिन्दुओं को घेरा कैसे जाए? हिन्दू विमर्श करने पर उन्हें यह लगता है कि यह मुस्लिम विरोधी है और ऐसा तो होना ही नहीं चाहिए। बुर्का विमर्श भी मुस्लिम विमर्श है, जिसमें हिन्दुओं को व्यर्थ ही खलनायक बनाने का कुत्सित प्रयास किया गया, जो अंतत: विफल हुआ।
परन्तु विफल होना महत्वपूर्ण नहीं है, महत्वपूर्ण यह है कि अंतत: यह मानसिकता कितनी घिनौनी है जो हिन्दुओं एवं भारत के विमर्श के विरोध में सामाजिक विद्वेष तक फैलाती है एवं हिन्दुओं की पीड़ा को नकारती है।
इस घटना पर तो उनका झूठ सामने आ गया, परन्तु इस मानसिकता का अंत कब होगा, यह देखना होगा या फिर विमर्श के इस युद्ध में यह उन्मादी विमर्श अभी चलता रहेगा
(यह स्टोरी हिंदू पोस्ट की है और यहाँ साभार पुनर्प्रकाशित की जा रही है.)