श्रद्धा की हत्या में नित नए खुलासे हो रहे हैं। श्रद्धा की हत्या से बढ़कर वह उद्देश्य है, जो यह प्रमाणित करता है कि यह हत्या दरअसल उसी कट्टर मानसिकता के चलते की गयी थी, जो मानसिकता युगों से चलती चली आ रही है। अब जो मीडिया में आ रहा है, वह और भी अधिक डराने वाला है, श्रद्धा की हत्या करने का उसे तनिक भी अफ़सोस नहीं है बल्कि वह तो यह तक कह रहा है कि उसे फांसी का भी अफ़सोस नहीं होगा क्योंकि उसे जन्नत जाने पर हूर मिलेगी!
सुनो हिंदू लड़कियों, सबका अब्दुल एक जैसा ही होता है.
वो हूर के लिए तुम्हें फंसाएगा, तुम्हारा शोषण करेगा, विरोध करोगी तो काट डालेगा.
आफताब ने श्रद्धा के अलावा 20 हिंदू लड़कियां फंसाई थी क्योंकि उसे जन्नत में हूर चाहिए. ये पढ़ लो👇 pic.twitter.com/Qt3mKj3rSJ
— Abhay Pratap Singh (बहुत सरल हूं) (@IAbhay_Pratap) November 29, 2022
यह किस हद तक की कट्टर मानसिकता है कि वह इतनी जघन्य हत्या को भी यह कहकर सही ठहरा रहा है कि वह उसे जन्नत में हूरें मिलेंगी। यही वह मानसिकता है, जहां पर आवेश में की गयी हत्या और काफिरों की घृणा से पूर्ण हत्या में अंतर हो जाता है। परन्तु उससे भी अधिक स्तब्ध करने वाला तथ्य यह है कि आखिर ऐसा क्या कारण है कि लड़कियां इस जाल में फंस जाती हैं।
मीडिया के अनुसार आफताब ने पुलिस अधिकारी को बताया कि श्रद्धा की हत्या के आरोप में उसे फांसी भी हो जाए तो अफसोस नहीं होगा, जन्नत में जाने पर उसे हूर मिलेगी। यही नहीं उसने यह भी बताया कि श्रद्धा से रिश्ते के दौरान उसके 20 से अधिक हिंदू लड़कियों से संबंध रहे हैं। पुलिस को दिए उसके इस बयान से आफताब की कट्टर मानसिकता सामने आई है।
जो बीस से अधिक हिन्दू लड़कियों के साथ सम्बन्ध की बात है, वह दुखदायी है। वह विचारणीय है। ऐसा क्या कारण है कि लडकियों को आफताब में नायक दिखने लगता है और अपने हिन्दू लड़कों में खलनायक? वह कौन सी विशेषताएं हैं, जिनके चलते वह अपने आप ही कसाई बाड़ा में पहुँच जाती है।
वह ऐसा कैसे कर सकती हैं? आखिर में क्या बोध है जो उन्हें यह सोचने नहीं देता कि वह कहाँ जा रही हैं, या उनकी अंतिम मंजिल मौत हो सकती है? इतना आत्म विस्मृत कोई कैसे हो सकता है?
आफताब जैसे आदमी की बीस हिन्दू गर्लफ्रेंड? यह समाचार गले से नीचे उतर ही नहीं रहा है क्योंकि यह बहुत कुछ सोचने के लिए विवश कर रहा है। इसके पीछे इतनी आत्मविस्मृत होने की प्रवृत्ति कैसी हो गयी है?
लेकिन जहां आफताब की हूरों वाली यह मानसिकता हिन्दू लड़की के प्रति है तो वहीं मेरठ में हिजाब पहने हुए ऐसी महिला के साथ भी “मुस्लिम” छात्रों ने अश्लील हरकत की। यह घटना इसलिए भी और महत्वपूर्ण हो जाती है क्योंकि केवल हिजाब पहनी हुई टीचर को लड़कों ने स्कूल के भीतर “आई लव यू, जान” ही नहीं कहा बल्कि इसमें एक लड़की शगुफ्ता भी शामिल बताई जा रही है!
Breaking News: In UP’s Meerut, inside the school, 3 student Atash, Kaif, Aman molested & said “I Love U” to the female teacher & made its video viral on social media. Shagufa a female accused also involved
FIR filled under sec for obscene comments, threat to murder & IT act
+ pic.twitter.com/jb0pEcajAE— Ashwini Shrivastava (@AshwiniSahaya) November 27, 2022
महिलाओं को लेकर यह कैसी जिहादी मानसिकता है? आखिर वह कौन सी मानसिकता है जो हर लड़की के खिलाफ है। जब हिजाब की तरफदारी करनी होती है तो इसी प्रकार की मानसिकता वाले लोग आकर यह कहते हैं कि हिजाब पहनने से पता चलता है कि औरतें कितनी शरीफ है और इसके लिए वह कभी आइसक्रीम, कभी टॉफ़ी, कभी चॉकलेट आदि के उदाहरणों से बताते हैं कि चींटी लग जाएगी, इसलिए ढाक कर रखना चाहिए।
फिर यदि लड़की ने हिजाब पहना है, तो भी उसपर चटकारे लेते हुए वीडियो बनाया जा रहा है। पुलिस ने आरोपी लड़कों को गिरफ्तार कर लिया है!
यह समस्या और गहरी तब हो जाती है, जब शिक्षिका का बयान आता है कि उसने लड़कों के घरवालों से भी बात की थी, मगर उन्होंने कोई कदम नहीं उठाया।
आखिर महिलाओं के प्रति इतनी नीच सोच पर मुस्लिम समुदाय काम क्यों नहीं करता? क्या ऐसा होगा कि लड़कियों के प्रति जो गंदे विचार विकसित हो रहे हैं, उसका शिकार उनके समुदाय की महिलाएं नहीं होंगी? ऐसा तो नहीं लगता। क्योंकि यहाँ पर तो मुस्लिम महिला थी, और हिजाब भी पहने हुई थी, फिर भी उसके साथ यह हरकत की गयी।
मगर तीसरी जो सबसे हैरान करने वाली घटना कानपुर से आ रही है, जिसमें लड़की के जिहादियों के जाल में जाने के पीछे वास्तव में अभिभावक ही हैं। यह घटना अपने भगवानों के प्रति उस अविश्वास को दिखाती है, जो फिल्मों के माध्यम से हमारे मस्तिष्क में घर कर चुका है। आफताबों को न समझने के पीछे यह भी घटना एक बड़ा कारक है।
दरअसल इस घटना में एक परिवार की बेटी पिछले 2 वर्षों से स्वस्थ नहीं थी और वर्ष 2021 में किसी ने उन्हें अजमेर दरगाह मे जाने की सलाह दी। अजमेर की दरगाह, जहाँ पर मुस्लिमों से अधिक संभवतया हिन्दू जाते हैं। न जाने कौन सी ऐसी मानसिकता है लोगों की कि वह अपनी जवान बेटियों को लेकर वहां के लिए चल देते हैं, जहाँ से एक बहुत बड़ा बलात्कार का काण्ड भी जुड़ा हुआ है।
और यह भी देखा गया है कि हिन्दू तांत्रिकों एवं साधुओं का भेष धरकर भी कुछ संदिग्ध मुस्लिम ऐसी हरकते करते हैं, एवं जब वह पकडे जाते हैं तो मीडिया भी उन्हें तांत्रिक ही कहकर सम्बोधित करता है।
अगस्त में वह लोग अजमेर गए और वहां पर वह उनकी भेंट फैज़ से हो गयी। फैज़ ने लड़की का नंबर ही नहीं लिया, बल्कि वह उसके साथ फोटो भी लेने में सफल रहा। उसके बाद उसने उसे ब्लैकमेल करना आरम्भ किया। जब लड़की के पिता ने फैज़ को मना किया तो धमकी देने लगा था। परिवार ने फिर मई में उसके खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी।
What horror!
Faiz threatened a minor hindu girl of cutting her into 35 pieces like #Shraddha &throw her in jungle if she did not agree to convert & do nikah with him!
When police went to nab Faiz, his family and others attacked the police only with sticks & stones
Kanpur,UP pic.twitter.com/9ylcvwyXRN
— Ritu #सत्यसाधक (@RituRathaur) November 28, 2022
मगर फैज़ नहीं माना और वह लड़की को परेशान करता रहा। फैज़ लड़की को धमकी दे रहा था कि निकाह तो तुमसे ही करूंगा, फिर चाहे पूरे परिवार को गोली ही क्यों न मारनी पड़े!
Full story of this horrific #lovejihad attempt from Kanpur, UP
Faiz has been stalking minor hindu girl for some time forcing her family to file FIR against Faiz,
He was forcing the girl do “nikaah’ or else he would chop her in 35 pieces like #shraddha & shoot her family
+ pic.twitter.com/cxDFV1ou8S— Ritu #सत्यसाधक (@RituRathaur) November 28, 2022
हालांकि पुलिस ने फैज़ को गिरफ्तार करने में सफलता पाई है, परन्तु यहाँ पर भी जब तक इस मामले को मात्र प्यार और छेड़खानी का मामला माना जाता रहेगा, तब तक कुछ नहीं होगा। इन मामलों को गैर मजहबियों के प्रति घृणा के अपराध के रूप में देखना चाहिए। क्योंकि यदि साधारण छेड़खानी का आरोप लगाया जाएगा तो वह भी शीघ्र ही जमानत पर हो सकता है कि बाहर आ जाए!
मुगलों एवं मुस्लिम फकीरों के महिमामंडन के चलते आत्महीनता बोध का मूल्य चुकाती हिन्दू लडकियां
यह बात माननी पड़ेगी कि मुगलों का जिस प्रकार वामपंथी इतिहास में महिमामंडन किया गया है और जिस प्रकार से मुस्लिम फकीरों को हिन्दू भगवान के सामने फिल्मों में चमत्कारी प्रमाणित किया और यह एक नहीं कई फिल्मों में दिखाया गया कि मंदिर में बुत नहीं सुनते हैं प्रार्थना, फकीर सुनते हैं, दुआ क़ुबूल होती है, उससे आत्महीनता की ऐसी ग्रंथि का निर्माण होता है, जिसका परिणाम हमारी बेटियों के जिहादी के शिकार होने के रूप में सामने आता है।
हर कोई सतही आत्मविश्लेषण करके हिन्दुओं को ही मुगलों के हमलों, अंग्रेजों के द्वारा किए गए अत्याचारों का दोषी ठहरा देता है। सदियों से संघर्षरत सभ्यता को ऐसा प्रमाणित किया जाता है कि जैसे वह सबसे निकृष्ट है, जैसे सबसे दुर्बल है।
जबकि हिन्दू सभ्यता ही इस्लामी आतताइयों का सामना कर सकी है। एक नहीं, अनगिनत योद्धा ऐसे हैं, जिन्होनें हिन्दू बने रहने के लिए कई प्रकार की रणनीतियों को अपनाया, जिनमें लड़ाई से लेकर संधि तक सम्मिलित थीं। हर काल खंड के अनुसार कार्य किए गए, कदम उठाए गए। परन्तु यह कह देना कि हिन्दू समाज स्वयं में कमजोर था, जाति गत भेदभाव थे, जिसके कारण मुग़ल आ गए यह बौद्धिक विलासिता से बढ़कर कुछ नहीं है।
जब ऐसा ही कुतर्क हमारी बेटियों के दिल में आरम्भ से भरे जाते हैं, तो उसके दिल में अपने ही आप आफताबों के लिए प्यार उमड़ने लगता है। वह आफताबों में अपना उद्धारक खोजने लगती है, उसे लगता है कि जैसे सारी अच्छाईयों की खान उसका आफताब ही है,
उसके भीतर आत्महीनता वही कथित आत्मविश्लेषण का विमर्श भरता है, जो हर बात के लिए हिन्दुओं को दोषी ठहराता है और अपने नायकों को अंग्रेजों द्वारा प्रचारित जातियों में बांटकर देखता है और गुलामी का विमर्श बनाता है। जो विमर्श हिन्दुओं के प्रभु श्री राम एवं महादेव को साधारण पुरुष बनाकर प्रस्तुत करता है, वही विमर्श हिन्दुओं को चमत्कार या अलौकिक अनुभवों के लिए अजमेर जाने के लिए प्रेरित कर देता है और मानसिक रूप से गुलाम बना देता है क्योंकि चमत्कार कोई साधारण पुरुष तो कर नहीं सकते, उसके लिए तो पीर, फकीर होना ही चाहिए!
जब विमर्श ही गुलामी का हो जाएगा तो श्रद्धाओं को आफताबों में ही अपना सलीम दिखेगा और अंत वही होगा जो उसने अपनी उस कनीज का किया था जिसने एक हिजड़े के माथे को चूम लिया था। अर्थात मौत! तड़पा तड़पा कर मौत!
(यह स्टोरी हिंदू पोस्ट की है और यहाँ साभार पुनर्प्रकाशित की जा रही है.)