जब हम भारत में इस्लामी कट्टरपंथ पर बात कर रहे हैं और यह देख रहे हैं कि कैसे निशाना बनाकर गैर मुस्लिम लड़कियों को मारा जा रहा है या फिर उन्हें इस्लाम में ले जाया जा रहा है, और हम यह भी देख रहे हैं कि कैसे इस्लामी कट्टरपंथ को क्लीन चिट देने का पूरा प्रयास लिबरल लॉबी द्वारा किया जा रहा है तो ऐसे में सुदूर नाइजीरिया से ऐसा समाचार आ रहा है, जो उस कट्टरपंथ की भयावहता को और स्पष्ट तरीके से दिखाता है।
नाइजीरिया में बोकोहरम ने अपनी ही 15 महिला सदस्यों को डायन का आरोप लगाते हुए मार डाला। मीडिया के अनुसार विद्रोहियों ने १० औरतों को डायन का आरोप लगाते हुए मार डाला था।
शेष पांच औरतों को सेना के समक्ष समर्पण करने के आरोप में मार डाला गया।
मीडिया के अनुसार
“सूत्र ने कहा कि बोको हराम के नेता, मंदारा हिल्स, ग्वोज़ा जनरल एरिया और कैमरून के कुछ हिस्सों के प्रभारी, अली न्गुल्दे ने कथित तौर पर पीड़ितों की हत्या का आदेश दिया।“
अब यह भी प्रश्न उठ सकता है कि आखिर उन्हें डायन कैसे और किसने कहा? सहारा रिपोर्टर के अनुसार
“आतंकवादी समूह ने उन महिलाओं की हत्या कर दी जिन्हें बोको हरम के एक कमांडर अली न्गुलदे के बच्चों की मौत के बाद डायन करार दिया गया था।
एक सैन्य सूत्र ने मंगलवार को सहारा रिपोर्टर्स को बताया, “बोको हराम के कमांडर अली नगुलदे ने बोर्नो में करीब 20 महिलाओं पर डायन होने का आरोप लगाते हुए उनका गला रेत कर उनकी हत्या कर दी।”
“उनमें से लगभग 40 का पिछले सप्ताह अपहरण कर लिया गया था, पिछले गुरुवार को ग्वोज़ा शहर में 10 से अधिक का वध कर दिया गया था और 10 से अधिक सप्ताहांत के दौरान मारे गए थे।“
अर्थात बच्चों की असमय मौत के कारण संदेह के चलते अपनी ही साथियों को बोको हरम ने मार डाला!
यह कितना हृदय विदारक है कि यह औरतें किसी न किसी मानसिकता को लेकर ही बोको हरम जैसे संगठनों के साथ जुडी और उन्हें मौत कैसी दी गयी? यह सोचकर ही किसी की भी आत्मा कांप जाती है।
परन्तु यह सोचकर और भी आत्मा कांप सकती है कि कैसे इतनी बड़ी घटनाओं पर विश्व का कथित सभ्य देश संज्ञान नहीं ले रहा है। क्यों औरतों को इस प्रकार अत्याचारों के साए में जाते देखकर लोग चुप हैं? क्यों लोग यह कहने का साहस नहीं जुटा पा रहे हैं कि यह गलत हो रहा है!
आखिर क्यों एक मानसिकता का विरोध नहीं हो रहा है? विरोध की तो बात बहुत दूर की बात है, उन 15-20 औरतों की मृत्यु कहीं समाचार में भी नहीं है, यह कैसी विडंबना है? यह कैसी विडंबना है कि वह मारी जा रही हैं, और लोग मौन हैं? कहीं कोई हलचल नहीं! कहीं कोई भी चर्चा इस बात की नहीं कि आखिर क्यों बोको हरम ने उन औरतों को डायन घोषित कर दिया? और घोषित करने के बाद मार भी डाला?
क्य्रा प्रगतिशीलता का अर्थ इस प्रकार के जघन्य पापों पर मौन रहना है? क्या प्रगतिशील फेमिनिज्म और प्रगतिशील उदारवादी धड़ा बोको हरम द्वारा की गयी इन हत्याओं पर चर्चा भी नहीं करेगा? यह एक ऐसा प्रश्न है, जो इन तमाम घटनाओं के बाद उभरता है कि आखिर कथित प्रगतिशील लोग इस्लामी कट्टरपंथ के हाथों मरती औरतों पर इस प्रकार की बेशर्म चुप्पी कैसे साधे रह सकते सकते हैं?
अफगानिस्तान में भी औरतों को लेकर अत्याचार जारी है, मगर भारत में सेक्युलर चुप्पी जारी है!
अफगानिस्तान में भी औरतों को लेकर तालिबान के अत्याचार जारी हैं। उन्हें मूलभूत सुविधाओं से वंचित किया जा रहा है। वहां पर महिला कार्यकर्ता इस बात को कह रही हैं कि यदि औरत बीमार पड़ जाती है, तो उसका इलाज पुरुष डॉक्टर नहीं कर सकता क्योंकि तालिबान इसकी अनुमति नहीं देंगे:
“What healthcare can women & girls access?”
“There is nothing normal here. In Kabul the situation is no as bad bu int provinces it is awful. If a woman is sick she cannot go to a male doctor as Taliban will not permit.” Yal Bano: women’s rights activist in #Afghanistan— Green Party Women (@GreenPartyWomen) November 22, 2022
अजीबोगरीब बातों पर औरतों और आदमियों को कोड़े लगाए जा रहे हैं
Taliban whipped a man and a woman 39 lashes for visiting Bamyan in front of the location of the former Bhuddas with spectators watching. They did not allow photography and arrested two who tried. Note, there is no punishment even in the letter to letter following of the Sharia
— LollyAnna (@LollyAnnaG) November 17, 2022
परन्तु तालिबान की इस बात पर प्रशंसा करने वाली लॉबी इस समय पूरी तरह से मौन है जो इस बात से प्रसन्न थी कि कम से कम तालिबान ने “प्रेस कांफ्रेंस” की थी।
इतना ही नहीं, शबनम नासिमी ने आज एक वीडियो साझा किया कि तालिबान ने औरतों और लड़कियों को काबुल यूनिवर्सिटी में इसलिए प्रवेश नहीं करने दिया क्योंकि वह ठीक से ढकी नहीं थीं और उन्होंने रंग बिरंगे कपड़े पहने थे!
The Taliban BANNED women & girls from entering Kabul university today because they were ‘not covered enough’ and ‘wore colourful clothes.’
This is graceful! How can we remain silent when a woman’s basic human right to an education is being denied?
pic.twitter.com/YB2xrTIKL0
— Shabnam Nasimi (@NasimiShabnam) November 23, 2022
बोको हरम के हाथों डायन होने के आरोप के चलते मारी गयी मुस्लिम औरतें हों या फिर तालिबान के हाथों कोड़े खाती मुस्लिम औरतें, भारत में इन औरतों की आवाज कथित लिबरल प्रगतिशील औरतों के कानों में नहीं पड़ पाती है, और भारत की कथित प्रगतिशील और लिबरल औरतें यहाँ की मुस्लिम औरतों को उसी कट्टरता में धकेलने वाले “हिजाब और बुर्के” के अधिकार वाले आन्दोलन का समर्थन भी कहीं न कहीं करती हुई दिखाई देती हैं!
यही प्रतिशीलता और फेमिनिज्म है, जो दरअसल औरतों के विरोध में है और औरतों के शोषण के समर्थन में है!
(यह स्टोरी हिंदू पोस्ट की है और यहाँ साभार पुनर्प्रकाशित की जा रही है.)