श्रृंगार शतक एवं नीति शतक: आइये पढ़ते हैं भर्तृहरि के कुछ श्लोकों के विमर्श

सौन्दर्य या प्रेम का नाम आते ही कई लिब्रल्स यह कहते लगते हैं कि हिन्दी या कहें संस्कृतनिष्ठ हिन्दी एवं संस्कृत में वह बात नहीं जो सौन्दर्य का प्रस्तुतीकरण कर सकें! आज हम भर्तृहरि का श्रृंगार शतक पढ़ते हैं, जिसमें कामदेव, स्त्री सौन्दर्य, स्त्री प्रेम आदि के सम्बन्ध में जो लिखा है, उसकी कल्पना सहज नहीं हो सकती है। और आज के फटाफट इश्क के समय के तो उस प्रेम, उस चुहल का आनंद ही नहीं लिया जा सकता है, जो भर्तृहरि ने लिख दिया है।

श्रृंगार शतक, जिसमें आरम्भ में ही कामदेव को अजेय बता दिया गया हैं अर्थात प्रेम की, पवित्र काम की प्रमुखता को स्थापित कर दिया गया है, वह प्रेम एवं स्त्री सौन्दर्य की महत्ता हमारे धर्म और लोक में जो रही है, उसे तो बताता ही है, साथ ही यह भी बताता है कि यदि स्त्री एवं पुरुष किसी सम्बन्ध में प्रवेश करते हैं, तो वह बिना हृदय के मिले नहीं हो सकता है। अर्थात जो फेमिनिस्ट यह बार बार आरोप लगाती हैं कि हिन्दू धर्म में स्त्री की सहमति की कोई महत्ता नहीं थी, वह संभवतया काफी कुछ पढ़ती नहीं हैं।

यह आरम्भ होता है कामदेव की स्तुति से कि

शम्भुस्वयम्भुहरयो हरिणेक्षणानां

येनाक्रियंत सततं गृहकर्मदासा:

वाचामगोचरचरित्रविचित्रिताय

तस्मै नमो भगवते कुसुमायुधाय

अर्थात

जिन्होनें ब्रह्मा, विष्णु, एवं महेश को मृगनयनी कामिनियों के घर का काम धंधा करने के लिए दास बनाकर रखा है, जिनके विचित्र चरित्रों का वर्णन वाणी से किया नहीं जा सकता है, उन पुष्पायुध कामदेव को मेरा नमस्कार है!

कितना सुन्दर वर्णन है। इसकी व्याख्या बाबू हरिदास वैद्य ने इतनी सुन्दर की है, कि ऐसा प्रतीत होता है कि बार बार उसे पढता ही जाया जाए! कामदेव, जिन्हें स्वयं महादेव के क्रोध का भी एक बार भाजन बनना पड़ा था, वही कामदेव दरअसल सृष्टि के संचालन में अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, ऐसा भर्तृहरि का मानना है।

आइये देखते हैं कि बाबू हरिदास वैद्य ने क्या लिखा  है

वह लिखते हैं कि यद्यपि आपका शस्त्र फूलों का धनुर्बाण है, तथापि आपने अपने इसी शस्त्र से त्रिलोकी को अपने अधीन कर रखा है।

 

परन्तु यहाँ पर भी भर्तृहरि मात्र वैवाहिक प्रेम की सम्पूर्णता की बात करते हैं। कामदेव जब काम की अग्नि से व्यक्ति को जलाते हैं, तो वह काम विकृत नहीं होता है, बल्कि वह तो स्वयं महादेव एवं विष्णु जी अपनी स्त्री के प्रेम में अधीन हो जाना है।

बाबू हरिदास वैद्य लिखते हैं कि अब रही उनकी बात जो पराई खूबसूरत रमणियों का दासत्व स्वीकार करते हैं, तो उनमें सच्चा प्रेम एवं पवित्रता नहीं अपितु मात्र सौन्दर्य का प्रभाव होता है।

वहीं भर्तृहरि ने नीतिशतक भी लिखा है, उसमें उन्होंने नीतियों की बात की है। जहां श्रृंगार शतक में उन्होंने कामदेव और प्रेम की बात की है तो वहीं नीति शतक में भी प्रेम की बातें हैं, परन्तु नीतियाँ हैं, जैसे

यां चिन्तयामि सततं मयि सा विरक्ता

साऽप्यन्यमिच्छाति जमं, स जनोंऽन्यस्क्तं:

अस्मतकृते च परितप्यति काचिदन्या

धिक् तां च, तं च, मदनं च, इमां च, मां च!

अर्थात जिस स्त्री का मैं अहो-रात्र चिंतन करता हूँ, वह मुझसे विमुख है! वह भी दूसरे पुरुष को चाहती है। उसका अभीष्ट वह पुरुष भी किसी अन्य स्त्री पर असक्त है, तथा मरे लिए अन्य स्त्री अनुरक्त है। अत: उस स्त्री को, उस पुरुष को, कामदेव को, मेरे में अनुरक्त इस स्त्री को तथा मुझे धिक्कार है।

डॉ राजेश्वर शास्त्री, चौखम्भा प्रकाशन

जहाँ भर्तृहरि श्रृंगार शतक में पूर्णतया प्रेम को समर्पित कर बैठे हैं, तो वहीं दूसरी ओर जब वह नीतिशास्त्र लिखते हैं तो वह विद्या, मूर्खता, राजा, प्रजा अदि सभी की बातें करते हैं। एक श्लोक में वह कहते हैं

साहित्यसङ्गीतकलाविहीनः साक्षात्पशुः पुच्छविषाणहीनः।

तृणं न खादन्नपि जीवमानः तद्भागधेयं परमं पशूनाम्॥

यह कितना सुन्दर श्लोक है, जिसका एक एक शब्द कंठस्थ हो जाता है। यह हिन्दू धर्म में साहित्य, संगीत, कला की महत्ता को प्रतिपादित करता है और यह स्पष्ट करता है कि हिन्दू धर्म संगीत, कला, एवं साहित्य तीनों की ही बात करता है। उसके लिए तीनों ही आराध्य हैं!

नीति कहती है कि साहित्य, काव्यशास्त्र, संगीत, गायन, कला आदि से जो भी व्यक्ति अनभिज्ञ होता है, वह मूर्ख होता है, वह ऐसा होता है जैसे कि एक ऐसा पशु जिसमें बस पूँछ एवं सींग नहीं हैं! अर्थात जो पशु के बाह्य संकेत हैं, बाह्य प्रतीक हैं, वह नहीं हैं, शेष सब कुछ उसमे पशु की ही विशेषताएं हैं।

भर्तृहरि कह रहे हैं कि जो मनुष्य साहित्य एवं संगीत आदि कलाओं से अपरिचित है, वह पूछ तथा सींगों के बिना साक्षात मूर्तिवान पशु ही है।

उसके उपरान्त वह ऐसे व्यक्तियों के विषय में क्या लिखते हैं, जिनके पास न ही विद्या है, न ही तप है और न ही दान उनकी प्रवृत्ति है!

वह लिखते हैं कि

येषां न विद्या, न तपो न दानं ज्ञानं न शीलं न गुणों न धर्मं:

ते मर्त्यलोके भुवि भारभूता मनुष्यरूपेण मृगाश्चरन्ति

अर्थात ऐसे मनुष्य जिनके पास न तो विद्या है, न तप है, न दान है, न ज्ञान है, न सदाचार है और न धर्म है, वे इस पृथ्वी पर भारभूत है और मनुष्य के रूप में वे पशु के समान व्यर्थ ही विचरण कर रहे हैं!

संस्कृत साहित्य में श्रृंगार है, नीतियाँ हैं तथा मानव जीवन से सम्बन्धित हर उस प्रश्न का उत्तर है जिसे देने का कार्य आज कथित पश्चिम प्रभावित “मोटिवेशनल स्पीकर” करते हैं! आवश्यकता है, अपने ज्ञान को जानने की और वापस लौटने की!

(यह आलेख हिंदू पोस्ट का है, और यहाँ साभार प्रकाशित किया जा रहा है।)

यह भी पढ़ें

J N Tata

जे एन टाटा: जिन्होंने औद्योगिक भारत की नींव डाली

0
जे.एन. टाटा का जन्म 1839 में नवसारी में हुआ था। जे.एन. टाटा के पिता नसरवानजी टाटा ने एक देशी बैंकर से व्यापार के मूल...
कशमर-म-फर-एक-कशमर-पडत-सजय-शरम-क-हतय:-जर-ह-जनसइड-और-इस-नकर-जन-क-करम-भ

कश्मीर में फिर एक कश्मीरी पंडित संजय शर्मा की हत्या: जारी...

0
सोनाली मिश्रा जहां एक ओर सरकार इस बात को लेकर अपना दृष्टिकोण एकदम दृढ किए हुए है कि प्रधानमंत्री पैकेज के अंतर्गत कार्य कर रहे...

अभिमत

J N Tata

जे एन टाटा: जिन्होंने औद्योगिक भारत की नींव डाली

0
जे.एन. टाटा का जन्म 1839 में नवसारी में हुआ था। जे.एन. टाटा के पिता नसरवानजी टाटा ने एक देशी बैंकर से व्यापार के मूल...
कशमर-म-फर-एक-कशमर-पडत-सजय-शरम-क-हतय:-जर-ह-जनसइड-और-इस-नकर-जन-क-करम-भ

कश्मीर में फिर एक कश्मीरी पंडित संजय शर्मा की हत्या: जारी...

0
सोनाली मिश्रा जहां एक ओर सरकार इस बात को लेकर अपना दृष्टिकोण एकदम दृढ किए हुए है कि प्रधानमंत्री पैकेज के अंतर्गत कार्य कर रहे...

लोग पढ़ रहे हैं

Demolition drive in Mango, dozens of roadside shops demolished

0
Street vendors question need to launch demolition drive amid important festivals as dozens lose their sole means of livelihood Jamshedpur: The Mango Municipal Corporation authorities...

Congress workers hit streets in Jamshedpur to protest Rahul Gandhi’s ‘disqualification’

0
Jamshedpur: Congress members have launched protests against the Prime Minister Modi and the central government throughout the country in response to the disqualification of...

1 COMMENT

Feel like reacting? Express your views here!

यह भी पढ़ें

आपकी राय

अन्य समाचार व अभिमत

हमारा न्यूजलेटर सब्सक्राइब करें और अद्यतन समाचारों तथा विश्लेषण से अवगत रहें!

Town Post

FREE
VIEW