प्रशासनिक उपेक्षा की वजह से कोल्हाल के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल की बदहाली जस की तस
जमशेदपुर: झारखंड गठन के 22 साल बाद झारखंड ने कई बदलाव देखे। इस दौरान, अगर कुछ नहीं बदला तो वह है कोल्हान का इकलौता सबसे बड़ा सरकारी मेडिकल कॉलेज अस्पताल यानी एमजीएम कॉलेज एवं अस्पताल।
करोड़ों का फंड हर साल इस अस्पताल के लिए बजट में पारित होता है।
एमजीएम अस्पताल के बर्न वार्ड की दुर्दशा ऐसी है कि पिछले दो दिनों से शहर में हो रहे साइक्लोनिक बारिश से अस्पताल का बर्न वार्ड जलमग्न हो चुका है।
लाचार और बेबस मरीज के परिजन खुद बर्न वार्ड से पानी निकालते हैं और इलाजरत मरीजों तक पहुंचते हैं।
सबसे ज्यादा सेंसिटिव वार्ड बर्न वार्ड ही होता है, क्योंकि जरा सा इन्फेक्शन भी मरीज को मौत के मुहाने तक पहुंचा सकता है।
अब इसे झारखंड की दुर्दशा कहें, या यहाँ के लोगों की बदनसीबी।
वैसे यह कोई पहला मौका नहीं है, जब अस्पताल के बर्न वार्ड में पानी घुसा है।
कमोबेश हर साल बारिश के मौसम में इस वार्ड की यही दशा रहती है।
आश्चर्य की बात है कि बारिश की वजह से वार्ड में पानी प्रवेश की समस्या का स्थायी निदान निकालने की ओर अबतक कोई प्रयास नहीं किया गया है।
हर साल लगभग यही स्थिति दोहरायी जाती है। हर साल मरीजों एवं उनके परिजनों के साथ-साथ चिकित्सकों एवं नर्सों को भी परेशानी झेलनी पड़ती है।
ऐसा नहीं है कि यह समस्या ऐसी है कि इसका समाधान नहीं हो सकता है।
प्रशासन एवं सरकारी मशीनरी के पास दसियों काबिल इंजीनियर उपलब्ध हैं, जो लाखों रुपये वेतन इसीलिए पाते हैं कि संचरनात्मक समस्याओं का निदान कर सकें।
फिर भी प्रशासनिक उपेक्षा एवं लापरवाही की वजह से एमजीएम कॉलेज अस्पताल की दुर्दशा खत्म लेने का नाम ही नहीं ले रही है।
वह भी तब, जब स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता इसी शहर के विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं और इस अस्पताल पर उनकी विशेष नजर रहती है।