जुगसलाई पार्वती श्मशान घाट में शांति कुटीर नाम के नये फर्नेस का उद्घाटन

जमशेदपुर: जमशेदपुर के जुगसलाई पार्वती श्मशान घाट में शांति कुटीर नाम के नये फर्नेस को जमशेदपुर वासियों के सुपुर्द कर दिया गया है।

प्रदूषण को ध्यान में रखते हुए लकड़ी और गोइठे या उपले से शव का दाह संस्कार करने के लिए 50 लाख की लागत से इस शांति कुटीर का निर्माण किया गया है। इसका विधिवत उद्घाटन शनिवार को किया गया।

पार्वती श्मशान घाट कमेटी द्वारा बढ़ते प्रदूषण को ध्यान में रखते हुए अपने आप में एक अनोखा फर्नेस मशीन जुगसलाई स्थित पार्वती श्मशान घाट में लगाया गया है।

शुभारंभ कमेटी के लोगों ने विधिवत पूजा अर्चना कर की।

यह सुविधा दाह संस्कार की प्रक्रिया को आरामदायक, कुशल, कम घुटन और पर्यावरण संरक्षण के उद्देश्य से शहरवासियों को प्रदान की गयी है।

धुएँ और प्रदूषण को कम करने के उद्देश्य से स्क्रबर और 30 मीटर ऊंची चिमनी सहित संपूर्ण प्रदूषण रोधी प्रणाली स्थापित की गई है।

इस फर्नेस मशीन में एक साथ दो शव का दाह संस्कार होगा, वह भी काफी तीव्र गति से।

साथ ही ही किसी तरह का कोई प्रदूषण वायुमंडल में न फैले इसका पूरा ध्यान रखा गया है।

जानकारी देते हुए पार्वती श्मशान घाट के सचिव ने बताया कि 50 लाख की लागत से इस मशीन को बनाया गया है।

इसे इस प्रकार से बनाया गया है कि प्रदूषण युक्त वायु को पानी में छानकर फिल्टर किये गये धुएँ को आकाश में 30 मीटर की ऊंचाई पर चिमनी के माध्यम से छोड़ा जाए ताकि वायु प्रदूषण न हो।

साथ ही शव को पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन मिले और जल्द से जल्द दाह संस्कार हो जाए इसे ध्यान में रखकर इसका निर्माण किया गया है।

उन्होंने कहा कि गोइठे और लकड़ी दोनों से इस फर्नेश मशीन में दाह संस्कार होगा।

उन्होंने कहा कि अब यह जमशेदपुरवासियों के सुपुर्द कर दिया गया है।

यह भी पढ़ें

अभिमत

सरकार-के-कदमों-से-भारतीय-इस्पात-उत्पादन-और-निर्यात-को-बढ़ावा-मिला-है:-कुलस्ते

सरकार के कदमों से भारतीय इस्पात उत्पादन और निर्यात को बढ़ावा...

सरकार द्वारा इस्पात उत्पादन और निर्यात को बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करते हुए कई उपाय किए गए हैं, जो भारतीय इस्पात उद्योग में महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं. DESK- केंद्रीय इस्पात राज्य मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते ने आज राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में इस्पात उद्योग को बढ़ावा देने के उद्देश्य से सरकार
हदओ-क-सत-परथ-पर-शरम-कय-नह-आन-चहए?-शरम-क-सधन-य-गलत-समझ-जन-वल-परपर?-–-टउन-पसट

हिंदुओं को सती प्रथा पर क्या शर्मिन्दा नहीं होना चाहिए? सुनिए...

0
पद्मश्री डॉ. मीनाक्षी जैन सती प्रथा के ऐतिहासिक संदर्भ, चुनौतीपूर्ण आख्यानों और भ्रांतियों को दूर करने पर प्रकाश डालती हैं।

लोग पढ़ रहे हैं

Feel like reacting? Express your views here!

यह भी पढ़ें

आपकी राय

अन्य समाचार व अभिमत

हमारा न्यूजलेटर सब्सक्राइब करें और अद्यतन समाचारों तथा विश्लेषण से अवगत रहें!

Town Post

FREE
VIEW