भारत को अपने स्टैन्ड को लेकर सावधानी बरतनी होगी. किसी भी कैम्प को नाराज न करने की भारत की वर्तमान नीति ही सबसे उपयुक्त है और भारत के हित में है.
संपादकीय
यूक्रेन के मुद्दे पर स्पष्ट स्टैंड लेने के लिए भारत पर और दबाव बढ़ने की आशंका है, हालाँकि अब तक भारत ने निष्पक्षता ही दिखाने का प्रयास किया है.
यूक्रेन पर संभावित रूसी आक्रमण की आशंका अब भी टली नहीं है. अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन अब भी यही कह रहे हैं कि उन्हें लगता है कि रूस यूक्रेन पर इसी हफ्ते या फिर कुछ ही दिनों के अंदर आक्रमण करनेवाला है.
रूसी राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन भी नाटो देशों की आशंकाओं को खत्म करने की हड़बड़ी में नहीं दिख रहे हैं. यह स्पष्ट हो चुका है कि पुतिन इस संकट का अधिकतम फायदा उठाना चाहते हैं. कुछ सैनिकों को पीछे हटाकर और फिर उससे ज्यादा सैनिको को आगे भेजकर वे नाटो खेमे में बनी संशय की स्थिति को बरकरार रखने के फिराक में दिखते हैं.
इस संशय की स्थिति से रूस को फायदा ही हो रहा है. जहाँ नाटो और पश्चिमी देशों के खेमे में अनिश्चितता और विभेद की स्थिति है, रूसी राष्ट्रपति अपने देश के अंदर और बाहर अपनी छवि को चमकाने में सफल रहे हैं.
युद्ध की आशंकाओं के बीच व्लादिमीर पुतिन के शनिवार को यूक्रेन की सीमाओं पर प्रमुख सैन्य अभ्यासों की व्यक्तिगत रूप से निगरानी करने की उम्मीद है.
इस बीच, यूक्रेनी राष्ट्रपति वलोडिमिर ज़ेलेंस्की कथित तौर पर पश्चिमी नेताओं के साथ बातचीत के लिए जर्मनी की यात्रा करने पर विचार कर रहे हैं – हालांकि जो बाइडेन ने आगाह किया है कि ज़ेलेंस्की के लिए अपना देश छोड़ना बुद्धिमानी नहीं होगी.
बाइडेन ने शुक्रवार देर रात एक भाषण में चेतावनी दी कि वह “आश्वस्त” हैं कि पुतिन ने यूक्रेन पर आक्रमण करने और इसकी राजधानी कीव को लक्षित करने का फैसला किया है. उनके अनुसार यह “विनाशकारी और अनावश्यक युद्ध” होगा.
बाइडेन ने कहा कि हमला शुरू होने तक ‘कूटनीति हमेशा एक संभावना है’। आक्रमण अगले दिनों या सप्ताह में हो सकता है.
बाइडेन के अनुसार अमेरिका और उसके यूरोपीय सहयोगी हमले के जवाब में रूस पर “गंभीर” आर्थिक प्रतिबंध लगाने के लिए तैयार हैं, लेकिन वह यूक्रेन में लड़ने के लिए सेना नहीं भेजेगा.
अमेरिका का मानना है कि पुतिन हमले के लिए झूठे बहाने तलाश रहे हैं. लुहान्स्क में एक गैस पाइपलाइन में विस्फोटों के बाद आग लग गई, और दूसरा विस्फोट शहर में लगभग 40 मिनट बाद हुआ। इससे पहले शुक्रवार को डोनेट्स्क में एक खाली लॉट में कार बम धमाका हुआ था.
बाइडेन का मानना है कि ऐसी घटनाओं को हमले का कारण बनाया जा सकता है.
नाटो देशों और रूस के बीच चल रही इस खींचतान में भारत का किसी भी एक कैम्प में खुलकर खड़े होना एक परेशानी का कारण बन सकता है. भारत रूस से अपने संबंध खराब करना नहीं चाहता है, खासकर ऐसे समय में जब इमरान खान रूस की उंगलियाँ पकड़ने को बेताब हैं और शीघ्र ही रूस की यात्रा पर भी जानेवाले हैं.
भारत को अपने स्टैन्ड को लेकर सावधानी बरतनी होगी. किसी भी कैम्प को नाराज न करने की भारत की वर्तमान नीति ही सबसे उपयुक्त है और भारत के हित में है.